विकास के नाम पर पर्यावरण का विनाश  छिदंवाडा में विकास के नाम पर सैकड़ो वृक्षों की दी जा रही बलि 

विकास के नाम पर पर्यावरण का विनाश 
छिदंवाडा में विकास के नाम पर सैकड़ो वृक्षों की दी जा रही बलि


रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत 
प्रधान संपादक-पंचायत दिशा समाचार 
छिदंवाडा म. प्र
13/02/2020


 छिदंवाडा  : कभी विकास योजनाओं तो अवैध कटाई से भी हरियाली का विनाश हो रहा है। भले ही विभाग के आंकड़ों में अनुमति से काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या नाममात्र हो लेकिन हकीकत में हर साल हजारों पेड़ों पर आरी चल जाती है। यही वजह है कि पौधरोपण के बावजूद ग्रीन कवर की बढ़ोत्तरी नहीं हो पा रही। ऐसे में हरियाली की कमी का खामियाजा किसी और को नहीं बल्कि हमें ही भुगतना है।


कहने को अब तक जिलें में ऐसी विकास योजनाएं नहीं रहीं जिनके चलते भारी संख्या में पेड़ों की बलि चढ़ी हो। इतना जरूर है कि भविष्य के लिए प्रस्तावित कई योजनाएं ऐसी हैं जिनमें वृक्षों का कटाई कराया जा सकता है। पिछले पांच वर्षों में विकास के नाम पर वृक्षों के कटाई के वन विभाग के आंकड़े सिर्फ कुछ वृक्ष कटने की गवाही दे रहे हैं। तीन साल पहले हाइवे- के चौड़ीकरण की योजना के तहत जिलें के दायरे में आने वाले यह पेड़ काटे गए थे। ज्यादातर पेड़  जिलें के अंदर ही थे। इन पेड़ों के कटाई के कारण लोगों को छांव के लिए तरसना पड़ रहा है। इसके अलावा गांव, देहात व कस्बाई क्षेत्रों में आबादी बढ़ने के साथ बस्तियों का दायरा भी बढ़ा है। जहां पेड़ थे, वहां अब बस्तियां नजर आती हैं। इससे ही साफ है कि वृक्षों का कटान निर्माण कार्यों के लिए भी होता रहा है। अभी कई विकास योजनाएं प्रस्तावित हैं जिनमें भी वृक्षों का विनाश होगा।
ऐसा ही जिलें के अन्दर आदिवासी संग्रहालय के निर्माण में सैकड़ों हरे भरें वृक्षों को काटा जा रहा है लेकिन जिलें में बैठे अधिकारी हरे भरें वृक्षों को काटने की परमिशन दे रहे है।  यदि इस कार्य को रोका नहीं गया तो सैकड़ों हरे वृक्षों की कटाई होगी । इस तरह विकास के लिए हरियाली कम हो रही है। तो दूसरी ओर विकास का लाभ उठाने वाले लोगों को भी हरियाली की कमी को पूरा करने के लिए आगे आना होगा। एक पौधा लगाना होगा और सूखते पौधों को बचाना होगा।


विकास भी हुआ नहीं, चली गई छांव


शहर में जिस आदिवासी संग्रहालय के लिए विशाल वृक्षों को काट दिया गया, उससे आसपास  को लोगों एंव कालोनी वालें को परेशानी हो रही है, लेकिन वृक्षों को कटने की प्रक्रिया अब तक शुरू है। इतना जरूर कि विकास के नाम पर आदिवासी संग्रहालय की हरियाली चली जायेंगी और लोग छांव को तरस तो रहेंगे



अवैध कटाई जोरों पर छिदंवाडा  मुख्यालय में  


हरे वृक्षों के कटाई पर पाबंदी के बावजूद भी जिले मुख्यालय में विकास के नाम पर हजारों वृक्षों की बलि दी जा रही है।जिसका उदाहरण आदिवासी संग्रहालय में सैकड़ों वृक्षों को काट दिया गया लेकिन जिला प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है जिलें में कब तक विकास के नाम हरे वृक्षों को काटा जायेंगे ।जिलें में इन दिनों हरे भरे वृक्षों को काटा जा रहा है ।लेकिन लगता है प्रदेश के मुख्यमंत्री को आपने ग्रह जिलें में हरियाली खत्म करना है इसलिए विकास के नाम पर वृक्षों की बलि दी जा रही है।जिलें में लकड़ी का कारोबार बड़े पैमाने पर हो रहा है। यहां से विभिन्न रूपों में लकड़ी दूसरे क्षेत्रों में जा रही है, लेकिन जिम्मेदारों को यह ख्याल नहीं कि लकड़ी आ कहां से रही है। साफ है कि जिले में ही बड़े पैमाने पर कटाई हो रही है। इसके बावजूद विभागीय सांठ-गांठ का ही नतीजा है कि पिछले तीन वर्षों में कोई भी बड़ी कार्रवाई माफियाओं के विरुद्ध नहीं हुई।


लाखों पौधों का नहीं हिसाब



यहां पौधरोपण की प्रक्रिया वर्षो पहले ही जोर-शोर से चलती रही है। 10 साल पहले के आंकड़े देखें तो जिलें  में बड़े पैमाने पर वृक्ष रोपे गए। इसके बावजूद उन पेड़ों का विभाग पर भी हिसाब नहीं है।  है हजारों हेक्टर में ग्रीन कवर हुआ। प्रति हैक्टेयर 650 पौधे रोपे गए। इस हिसाब से वर्षों बाद यह पौधे वृक्ष के रूप में नजर आने थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। या तो संरक्षण बिना गायब हुए या फिर उन पर भी आरी चल गई।
पंचायत दिशा समाचार 
छिदंवाडा म प्र
13/02/2020