कन्या शिक्षा परिसर की नाबालिक छात्रा के साथ हुए दुराचार को उजागर करना सहायक आयुक्त को पड़ा महंगा
महीनों बाद जुन्नारदेव थाने में AC एनएस बरकड़े पर 23 पॉक्सो एक्ट 74 किशोर न्याय अधिनियम के तहत मामला दर्ज
जुन्नारदेव कन्या शिक्षा परिसर की 15 वर्षीय यौन पीड़ित नाबालिक आदिवासी छात्रा की सहायक आयुक्त ने ही की थी पहचान उजागर
छात्रावास अधीक्षिका, प्राचार्य, बीईओ और बीएमओ को तत्काल किया गया था निलंबित, अब लापरवाही और भ्रष्टाचार की असली जड़ है वर्षों से जमे सहायक आयुक्त पर मामला हुआ दर्ज
ठा.रामकुमार राजपूत
प्रधान संपादक-पंचायत दिशा समाचार
छिदंवाडा म प्र
05/02/2020
जुन्नारदेव कन्या शिक्षा परिसर में अध्ययनरत नाबालिक आदिवासी छात्रा का शारीरिक शोषण, उसके गर्भवती होने तथा प्रसव के दौरान नवजात शिशु की मृत्यु के बाद आदिमजाति विभाग के सहायक आयुक्त द्वारा पीड़िता की मीडिया के समक्ष पहचान उजागर करना महंगा पड़ गया।
इस संबंध में सहायक आयुक्त के खिलाफ 23 पॉक्सो एक्ट 74 किशोर न्याय अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। दर्ज FIR में कहाँ गया है कि नाबालिक के साथ हुए बलात्कार के बाद सहायक आयुक्त द्वारा उसकी पहचान उजागर किया गया था। जिसका संज्ञान बाल संरक्षण आयोग नई दिल्ली द्वारा लिया गया था। जिसके बाद पुलिस को सहायक आयुक्त पर FIR दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे।
06 दिसंबर को घटित नाबालिक आदिवासी छात्रा के यौन शोषण जैसे घटनाक्रम के बाद प्रशासनिक बेशर्मी के चलते केवल जमीनी सिपाहियों की ही बलि दी गई थी। जिनमें छात्रावास अधीक्षिका, प्राचार्य, बीईओ औऱ बीएमओ पर करवाई की गई थी, वहीं भाजपा-कांग्रेस दोनों ही शासनों में अपनी धरतीपकड़ प्रवत्ति का परिचय देते हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग से लेकर सप्लाई-निर्माण कार्यों में लाखों-करोड़ों के बारेन्यारे करने वाले सहायक आयुक्त और सहायक संचालक शिक्षा पर कोई करवाई नहीं हुई थी।
*सहायक आयुक्त ने ही की थी पीड़ित छात्रा की पहचान सार्वजनिक:*
बीते 06 दिसंबर की देर रात मामला प्रकाश में आने के बाद अगले दिन आदिमजाति विभाग के सहायक आयुक्त (AC) एनएस बड़कडे, सहायक संचालक शिक्षा (AD) सीके दुबे समेत पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मामले की गंभीरता को देखते हुए जुन्नारदेव जा पहुँचे। जहां मामले की संपूर्ण जानकारी लेने के बाद सहायक आयुक्त एनएस बड़कडे मीडिया से मुखातिब हुए। इस दौरान सहायक आयुक्त द्वारा पीड़ित नाबालिक आदिवासी छात्रा की निजता और लैंगिक अपराधों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का खुला उल्लंघन करते हुए कैमरे के सामने ही पीड़िता की पहचान उजागर कर दी गई। जबकि बता दे कि यौन हिंसा से बच्चों का संरक्षण कानून (पॉक्सो) की धारा 23 में यौन हिंसा के शिकार बच्चों से संबंधित मामलों की खबरें देने के बारे में मीडिया के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित है, जबकि धारा 228 (ए) ऐसे अपराध में पीड़ित की पहचान का खुलासा करने के बारे में है। कानून में इस अपराध के लिए दो साल तक की कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान
ठा.रामकुमार राजपूत
पंचायत दिशा सप्ताहिक समाचार