छिदंवाडा में खुले आम बिक रहे है जहरीले पान मशाला
खाध एंव औषधि विभाग छिदंवाडा नहीं करते इन कंपनियों के पान मशालें की जांच
जबलपुर में मिले कई कंपनियों के पान मशाला अमानक
लाखों नौजवानों की जिदंगी खतरें में
ठा.रामकुमार राजपूत
प्रधान संपादक -पंचायत दिशा
छिदंवाडा - छिदंवाडा जिलें में इन दिनों खुलेआम बिक रहे है ।जहरीले पान मशाला लेकिन खाध विभाग आँख मूदे बैठा है जबकि इन पान मशालें में निकोटिन एवं मैग्नीशियम काबरेनेट युक्त गुटखा पान मसाला खाने वाले कैंसर और अन्य मर्जो की चपेट में तो आ ही रहे हैं, साथ ही सादा पान मसाला भी उतना ही खतरनाक साबित हो रहा है। पान मसाला खाने वाले किसी किस्म के भ्रम में न जिएं, विशेषज्ञ कहते हैं कि यह भी जानलेवा होता है जिंदगी का खतरा रहता है। इसे बनाने में भी कई प्रकार के रसायन और खतरनाक विधि का इस्तेमाल किया जाता है, उसके तैयार होने के बाद जहर की पुड़िया का रूप ले लेता है। सादा पान मशाला पाउच खाने वालों को भी कैंसर, एंव कई तरह की बीमारियां हो रहीं हैं। तम्बाकू को छोडने के लिये लोग साधारण गुटखा पाउच को खा रहे है और बाद में इसका नतीजा यह निकलता है कि इसका आदी हो चुका व्यक्ति बाद में जिंदगी से हाथ धो बैठता है। किसी भी किस्म का गुटखा पाउच जहर से कम नहीं है। इसको समय पर त्यागकर ना ही जिंदगी के करीब आया जा सकता है। ऐसे करता है असर - सामान्य गपान मशाला के पाऊच गाल में तो प्रभाव डालता ही है, साथ ही श्वास नली में सिकुड़न पैदा करता है। इसके लगातार खाने से गला चिपकने लगता है। रसायन अपना प्रभाव छोड़ते हैं और अनेक बार इन लक्षणों के बाद कैंसर तक सामने आता है।
इसका इस्तेमाल पान मसाले में किया जाता है। इसके साथ ही साधारण पान मसाले में भी मैग्नीशियम काबरेनेट और अन्य दो दर्जन से अधिक रसायनों का इस्तेमाल होता है। इसके बनने की प्रक्रिया के दौरान ही यह जानलेवा बन जाता है। कत्थे में भी मिलावट- पान में उपयोग किये जाने वाले कत्थे में भी अब रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इसको आकर्षक बनाने के लिए जो प्रयोग किये जा रहे हैं, वे लोगों की सेहत के लिए घातक साबित हो रहे हैं। इसमें पोटेशियम के अन्य कॉम्बीनेशन का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही कुछ कलर बेहतर हों, इसके लिए ऐसेंस और मिलावटी गाढ़े दूध का इस्तेमाल किया जाता है।
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