छिदंवाडा जिला का जिला शिक्षा केन्द्र बना अधिकारियों की चारागाह
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय नियमत: वर्ग-१ की आदिवासी शिक्षिका को ही दिया जाना चाहिये प्रभार..
लेकिन वर्ग-२ की शिक्षिकाओं को प्रभार देकर अधिकारी कर रहे बंदरबांट क्या जिले में नही हैं वर्ग-१ की शिक्षिकाएं…
रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत
प्रधान संपादक-पंचायत दिशा समाचार
07/02/2020
छिदंवाडा- जिले में संचालित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय अधिकारियों के चारागाह बने हुये हैं। अपनी मनपसंद अधीक्षिकाओं को छात्रावासों का प्रभार देकर जिले में बैठे अधिकारियोंं द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा है। नियमानुसार शिक्षाकर्मी वर्ग- १ को ही कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय का प्रभार दिया जा सकता है लेकिन जिले में सैकड़ों शिक्षाकर्मी वर्ग-१ होने के बावजूद भी वर्ग-२ की शिक्षिकाओं को बीते कई वर्षो से प्रभार दिया गया है जो जांच के दायरे में आता है।
जिले में संचालित केजीबीवी में छात्राओं के उपयोग हेतु क्रय की जाने वाली समस्त सामग्रियों का क्रय बाजार मूल्य से अधिक मूल्य पर अपनी सेटिंग की दुकान से कोटेशन लेकर क्रय किया जा रहा है। प्राप्त कोटेशन एक ही व्यक्ति द्वारा संचालित फर्मो के रहते हैं। जिसमें वह तुलनात्मक मूल्य अपने हिसाब से अंकित करते हैं। इस प्रकार जो वस्तु बाजार में कम मूल्य पर है उसे वह अधिक मूल्य पर क्रय कर एक मोटी शासकीय राशि बंदरबांट प्रतिमाह करते हैं। जैसे कि उदाहरण के छात्रावास में खरीदे जा रहे समान में देखा जा सकता है कोटेशन पर अधिक रेट डालकर क्रय किया जा रहा है।
छिदंवाडा जिले में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय संचालित हैं जिस पर पूरा नियंत्रण जिला मिशन समन्वयक जी.एल.साहू का है। इन्होंने कस्तूरबा में अधीक्षिका की सीट जो कि अनुसूचित जनजाति एवं वर्ग १ के लिये रिजर्व है। वहां पर जनरल एवं वर्ग २ की अधीक्षिकाओं को प्रभार दे रखा है और (बर्षों) लंबे समय से एक ही अधीक्षिकाएं पद पर कार्यरत् हैं। अधीक्षिकाओं को ऐसा किया जाने का पूरा सह एवं संरक्षण जिले में बैठे अधिकारी साहू द्वारा प्राप्त है। साहू पर पूर्व से करोड़ों का घोटाला किये जाने की आरोप लगें है। परंतु आज तक किसी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इन पर कोई कार्यवाही नही की जाती है। क्योंकि जिले के वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें संलिप्त हैं।
छात्रावास में अध्ययनरत् छात्राएं जब बीमार पड़ती हैं तो इनके द्वारा लोकल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उपचार करवाकर शासकीय दवाईयां दिलवाकर उन्हें घर भेज दिया जाता है। उपचार के नाम पर उन्हीं छात्राओं के नाम पर फर्जी बिल प्रायवेट मेडिकल स्टोर से लगाकर शासकीय राशि का गबन किया जाता है। जो दवाईयां डॉक्टर छात्राओं को नही लिखता है उसका बिल भी लगाया जाता है।
इनके द्वारा प्रतिमाह कम मात्रा में छात्राओं के उपयोग हेतु किराने की सामग्री क्रय की जाती है और उस क्रय के संबंध में अधिक राशि का बिल लगाकर बीच के अंतर की राशि दुकानदार से ले ली जाती है। क्रय एवं भंडार के अंतर को समझाने के लिये इनके भंडार कक्ष की जांच कराई जाये तो पता चलेगा कि वास्तविक स्थिति क्या हैँ और प्रतिमाह कितनी राशि का गबन इनके द्वारा किया जा रहा है।
ऐसे में जरूरी है कि जिले में संचालित समस्त कस्तूरबा गांधी आवासी बालिका विद्यालय में कार्यरत् सभी अधीक्षिकाओं एवं जिला मिशन समन्वयक को पद से पृथक कर इनके विरूद्ध जिले के बाहर अधिकारियों से एक ही समय पर सभी कस्तूरबा छात्रावास की जांच कराई जाये तो जिन उद्देश्यों को लेकर ये विद्यालय संचालित हैं उनका लाभ छात्राओं को मिल सके।
ठा.रामकुमार राजपूत
प्रधान संपादक-पंचायत दिशा न्यूज पेपर
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