बेसुध श्रम विभाग छिदंवाडा  खो रहा बचपन,अन्य प्रदेशों से बाल मजदूर लाकर करा रहे बाल मजदूरी

बेसुध श्रम विभाग छिदंवाडा 


खो रहा बचपन,अन्य प्रदेशों से बाल मजदूर लाकर करा रहे बाल मजदूरी


 रिपोर्ट-ठा.रामकुमार राजपूत 
प्रधान संपादक-पंचायत दिशा  सा.समाचार पत्र
26/02/2020



छिदंवाडा-   जिले में इन दिनों  बाल मजदूरी की धटना आम हो गई है शहर तथा आसपास के क्षेत्रों में बाल मजदूर काम करते देखें जा सकते है ।जबकि बचपन, इंसान की जिंदगी का सबसे हसीन पल होता हैं। इस वक्त न किसी बात की चिंता और न ही कोई जिम्मेदारी होती है। बस हर समय अपनी मस्ती में खोए रहना, खेलना-कूदना और पढऩा।लेकिन सभी का बचपन ऐसा हो ये जरूरी नहीं।
बाल मजदूरी की समस्या से आप अच्छी तरह वाकिफ  होंगे। कोई भी ऐसा बच्चा जिसकी उम्र 14 वर्ष से कम हो और वह जीविका के लिए काम करे बाल मजदूर कहलाता है। गरीबी, लाचारी और माता-पिता की प्रताडऩा के चलते ये बच्चे बाल मजदूरी के इस दलदल में धंसते चले जाते हैं। शासन भी इन श्रमिकों की मदद के लिए बड़े-बड़े वादे तो करता है लेकिन ये महज कागजों तक ही सीमित होते हैं। वास्तविकता देखी जाए तो कुछ और ही सामने आती है। 


फाइलों में कैद है मदद 
जिले में बाल श्रमिकों के पुनर्वास और उनकी मदद की योजना फाइलों में कैद होकर रह गई है। हालात ये हैं कि कार्रवाई के अभाव में हर गली-मोहल्ले में छोटे बच्चे दुकानों में काम करते दिख जाएंगे। जवाबदार महिला एवं बाल विकास, श्रम विभाग, पुलिस विभाग, बाल कल्याण समिति और चाइल्ड लाइन हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। इधर मासूमों को बचपन काम के बोझ तले खोता जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के कुछ लोग जिलें में सक्रिय 
बाल मजदूर लाकर करा रहे हैं मजदूरी 


अन्य प्रदेश के लोग बाल मजदूर लाकर चल रहे आपना व्यवसाय 
छिदंवाडा में इन दिनों हर सुबह सुबह जूस की दुकान में अन्य  उत्तरप्रदेश से लाए बाल मजदूर देखे जा सकते हैं इनके द्वारा कुछ व्यक्ति के द्वारा यह व्यवसाय बड़े जोर शोरों से किया जा रहा है जब इन बच्चों से पूछा गया कि तुमको किसने लेकर आए हैं तो इन बच्चों उत्तर प्रदेश के लखनऊ श्री रफीक नाम के कोई व्यक्ति ने इनको लाकर इनसे यहां पर हाथ ठेले पर  जूस की दुकानों में लगाकर काम करा रहे हैं।
मैच  सौ से दो सौ रुपयें  दिन में करा रहा है यह व्यक्ति इन बच्चों से काम


दंडनीय अपराध बाल श्रम
14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी तरह का काम करवाना दंडनीय अपराध है। 23 तहर के जोखिम भरे काम कराते पाए जाने पर आरोपी को छह  माह से सात साल की सजा और जुर्माना भरना पड़ता है। जोखिम भरे काम करवाने वालों पर श्रम विभाग कार्रवाई कर एफ आईआर भी दर्ज करवा सकता है। बावजूद जिले में दर्ज हुए बालश्रम के किसी प्रकरण में संचालक के खिलाफ  एफ आईआर दर्ज नहीं की जा सकी है। 


ये विभाग रखते हैं नजर 
बाल कल्याण समिति
किशोर न्याय अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार ने बाल संरक्षण आयोग और जिला स्तर पर बाल कल्याण समिति का गठन किया है। जरूरतमंद बच्चों के संरक्षण, पुनर्वास के लिए अलग से प्रावधान किया गया है। बाल कल्याण समिति लावारिस मिलने वाले बच्चे, बालश्रम करते पाए जाने वाले बच्चों का पुर्नवास करती है। 


श्रम विभाग
बाल कल्याण समिति 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बाल श्रमिक मानती है और श्रम विभाग 14 वर्ष के कम उम्र के बच्चों को। ऐसे में श्रम विभाग ने पिछले कई दिनों में बाल श्रमिकों को मुक्त करवाने के लिए एक भी कार्रवाई नहीं की।



मानव तस्करी विरोधी यूनिट
बालश्रम रोकने व गुमशुदा बालकों की तलाश के लिए पुलिस विभाग की ओर से मानव तस्करी विरोध यूनिट गठित है। जिले में चुनिंदा मामलों में ही पुलिस सक्रिय होती है। ज्यादातर प्रकरण चाइल्ड लाइन और सीडब्ल्यूसी पहुंचने तक पहुंच ही नहीं पाते।


चाइल्ड लाइन
चाइल्ड लाइन का मुख्य कार्य सर्वे कर बालश्रम करने वाले बालकों को चिह्नित कर उनकी सूचना बाल कल्याण समिति को देना होता है। संस्था ने टोल नम्बर जारी कर रखा है। बच्चों की रेस्क्यू के बाद चाइल्ड लाइन भी अपना पल्ला झाड़ लेता है। कहने को सालभर रेस्क्यू अभियान चलाया जाना है पर साल के कुछ महीने इसे औपचारिकता के तौर पर निभा दिया जाता है।