मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के गृह जिले में ही आदिवासियों के विकास के दावे हुए फेल
आदिवासियों के बच्चों का भविष्य अंधकार में
जिले के आदिवासी ब्लाक के कई स्कूल भगवान भरोसे
ठा.रामकुमार राजपूत
प्रधान संपादक -पंचायत दिशा समाचार
24/01/2020
स्थानांतरण के बाद कई शिक्षकविहीन तो कई एक शिक्षक के भरोसे
शिक्षा सत्र के सात माह बीतने के बाद हजारों विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में
पंचायत दिशा सप्ताहिक समाचार पत्र
छिदंवाडा-जिले की कई आदिवासी विकासखंड की शालाएं भगवान भरोसे चल रही है। मध्यप्रदेश सरकार की स्थानांतरण नीति के चलते कई शालाएं शिक्षकों से पूरी तरह खाली हो गई है तो कई शालाओं में महज अतिथि शिक्षक ही बचे है। शिक्षा सत्र के सात माह बीतने के बाद भी आदिवासी विभाग के पास इसकी न तो कोई ठोस जानकारी है और न ही समस्या के कोई समाधान की दिशा में सोचा जा रहा है। इस वजह से हजारों आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है।
जिले के हर्रई विकासखंड में 65 प्राथमिक/ माध्यमिक शालाएं शिक्षकविहीन हो गई हैं तो इतनी ही शालाएं एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रही हैं। ऐसा ही जुन्नारदेव विकास का हाल है ।यहां भी 68 शालाएं में एक भी शिक्षक नहीं है । हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों के भी हाल बेहाल है। ऐसा ही मामला हर्रई विकासखंड के अडोल हाईस्कूल का है जंहा एक भी शिक्षक नहीं है ।एक दो अतिथि शिक्षकों भरोसे स्कूल चल रहा है ना गणित टीचर है ना ही अग्रेंजी शिक्षक है ना ही विज्ञान विषय के को शिक्षक हैं। और इनमें अभी कोई बेहतर इंतजाम नहीं कि ए गए है। सहायक आयुक्त एन.एस.बरकडेसे पूछने पर कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। शिक्षकों की व्यवस्था करना सहायक आयुक्त दायित्व है। नेताओं की चापलूसी करते करते लगता है सहायक आयुक्त आपने पद की गरिमा भूल गए हैं।