एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय सिंगारदीप में बदहाल हो रही व्यवस्थाए
यहां पदस्थ प्राचार्य सुषमा जैन की विवादित कार्यप्रणाली और मनमानी के खिलाफ लामबंद
ठा.रामकुमार राजपूत
प्रधानसंपादक-पंचायत दिशा समाचार
बिछुआ : आदिवासी विधानसभा बिछुआ क्षेत्र में प्रदेश एंव केन्द्र सरकार के द्वारा आदिवासियों के विकास और उत्थान की संकल्पना के तहत वर्षों पूर्व एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की स्थापना की गई थी, पर प्रदेश एंव केन्द्र सरकार की इन नीति के साथ लगातार एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के प्रबंधन के द्वारा लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है। इस क्षेत्र के आदिवासी निश्चित रूप से जहां एक ओर आर्थिक रूप से बदहाल और पिछड़े नजर आते हैं, लेकिन वही उनका अकादमिक और खेल कौशल में उनका दबदबा सदैव रहा है। एकलव्य आदर्श आवासीय विधालय सिंगारदीप में बीते कई दिनों से आदिवासी बच्चों की इन भावनाओं का लगातार शोषण होता दिखाई दे रहा है। यहां पर प्राचार्य एंव अधीक्षक/अधीक्षिका के द्वारा लगातार उनकी भावनाओं का दमन और प्रतिभा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। एकलव्य सोसाइटी के द्वारा संचालित किया जाने वाला यह विद्यालय में बालक एवं बालिका छात्रावास की पृथक व्यवस्था बनाई गई है। जिसका संचालन प्राचार्य एवं प्रबंधन के संरक्षण में किया जाता है। यहां पर आदिवासी बच्चों के रहन सहन और जीवन स्तर को उठाने के उद्देश्य से बनाए गए बालक एवं बालिका छात्रावास में अधीक्षकों की नियुक्ति भी उन्हीं के आदिवासी वर्ग से किया जाना सुनिश्चित किया गया है।
इस संदर्भ में एकलव्य सोसाइटी सहित शासन के विभिन्न नियम, परंपराएं और मर्यादाये इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। लेकिन यहां के प्राचार्य श्रीमति सुषमा जैन मनमानी करते संचालन करा रही है ।वहीं प्राचार्य सप्ताह में एक-दो दिन आती हैं प्राचार्य कभी भी एकलव्य आवासीय विद्यालय में नहीं रुकती है वहीं प्राचार्य संवर्ण की होने के कारण आदिवासी वर्ग के यह छात्रगण अपना मर्म, दर्द और भावनाओं का प्रकटीकरण करने में असुविधा महसूस करते नजर आ रहे हैं। इसके अलावा अपने मातहत इस कर्मचारी की नियुक्ति का महत्वपूर्ण मकसद इस छात्रावास में शासन के द्वारा दी जाने वाली आर्थिक राशियों का मन मुताबिक प्रयोग करना भी प्रमुख ध्येय रहा है।
वर्तमान में पदस्थ यह आदिवासी बालक छात्रावास के अधीक्षक के द्वारा अपने इस प्राचार्य रूपी आका की हर तरह से सेवा की जाती रही है। प्राचार्य और अधीक्षक के बीच के इसी महत्वपूर्ण तालमेल का ही नतीजा है कि इस एकलव्य विद्यालय में व्यवस्थाएं बदहाल होकर तार-तार हो चुकी है। आदिवासी छात्रों के हितों को लगातार नजरअंदाज कर उनकी प्रतिभा के साथ भी न्याय नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण इस वर्ग के पालकों में खासा रोष है।
सहा.आयुक्त ने बर्षों से पदस्थ चहेते शिक्षक को अधीक्षक पद की अहम जिम्मेदारी सौंप दी।
इस विद्यालय में अपने उच्चाधिकारियों की सेवा कर वर्तमान प्राचार्य यंहा पदस्थ है । अपने गौरतलब है कि इस आदिवासी छात्रावास के अधीक्षक/प्राचार्य पद पर उनकी भावनाओं, दर्द और मर्म को समझने वाला आदिवासी वर्ग से ही अधीक्षक एंव प्राचार्य होना चाहिए, लेकिन सहायक आयुक्त एन.एस.बरकडे के द्वारा उन नियमों का लगातार उल्लंघन करते हुए अपने हितों की स्वार्थ सिद्धि की जा रही है।
इस क्षेत्र के आदिवासियों के हितों के लिए सतत संघर्षरत प्रदेश के मुख्यमंत्री से आदिवासी छात्रावास में अध्यनरत छात्रों के बालकों ने आदिवासी अस्मिता के तहत उनसे सीधे हस्तक्षेप की मांग रखी है। यहां पदस्थ प्राचार्य की विवादित कार्यप्रणाली और मनमानी के खिलाफ लामबंद होकर इन आदिवासियों के द्वारा सामान्य वर्ग के अधीक्षक एंव प्राचार्य को तत्काल हटाकर आदिवासी वर्ग से ही अधीक्षक एंव प्राचार्य की नियुक्ति की मांग मुख्यमंत्री से आशा रख रहे है यहां के आदिवासियों का यह मानना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ सदैव ही आदिवासी हितों के लिए अपनी नेतृत्व क्षमता और संघर्षशीलता के लिए जाने जाते हैं। इसीलिए उनसे इस मामले में जल्द ही स्पष्ट निर्णय की अपेक्षा है।
पंचायत दिशा समाचार
छिदंवाडा