बिना मास्साब के चल रहे आदिवासी ब्लाक के कई स्कूलें,  में बच्चे नहीं तो मौज मना रहे शिक्षक 

बिना मास्साब के चल रहे आदिवासी ब्लाक के कई स्कूलें,  में बच्चे नहीं तो मौज मना रहे शिक्षक 


शिक्षा विभाग के पोर्टल पर हाल ही में अपलोड हुई एक सूची से सामने आई बदहाली, अंधकार में बच्चों का भविष्य।
जुन्नारदेव में65 स्कूलों में एक भी शिक्षक नही 
हर्रई  में 68 शालाओं में एक भी शिक्षक नहीं तो इन शालाओं  छात्रों की पढ़ाई का जिम्मा किसके भरोसे



पंचायत दिशा समाचार
10/01/2020


 पंचायत दिशा (छिदंवाडा)-शासन ने शिक्षा व्यवस्था का ढर्रा सुधारने के लिए शिक्षाधिकार अधिनियम 2008 के जरिए सरकारी शालाओं मे संसाधनों का मापदंड तय किया है, लेकिन धरातल पर सालों बाद भी हालात जस के तस हैं। जिले हर्रई विकासखंड  में 68 शालाओं में एक भी शिक्षख नहीं है वहीं जुन्नारदेव की शालाओं में भी यही हाल है ।स्थिति यह है कि कई  शालाओं में शिक्षक ही नहीं हैं। वहीं मोहखेड़ बिछुआ विकासखंड की  कई शालाएं ऐसी हैं, जहां बच्चे नहीं हैं।  फर शिक्षक अतिरिक्त है ऐसा ही मामला आदिवासी कान्या आश्रम   भंडारकुंड  का है जंहा 49 बच्चों में 8 शिक्षक है ।
जिले की आदिवासी विकासखंड की शालाओं के दयनीय हालातों से पर्दा उठ गया है। पंचायत दिशा समाचार ने जिले के आदिवासी शालाओं के हालातों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की।
 जिलें के आदिवासी विकासखंड की कई शालाओं में मात्र शिक्षक नहीं होने के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वहीं हर्रई ,जुन्नारदेव विकासखंड के बच्चों ने शिकायत मे बताया कि प्रावि एवं मावि में करीब सेकडों  बच्चें अध्ययनरत हैं, लेकिन दुर्भाग्य से पढ़ाने वाला कोई नहीं है। 


 छिदंवाडा के जनप्रतिनिधियों  का दखल से आदिवासी के बच्चों का भविष्य अधंकार में
 पूरा खेल सिर्फ लेनदेन के कारण  आज यह स्थिति बनी  हुई है।? 
क्योंकि शिक्षकों ने पैसे के बल से आपना  ट्रासफर मनचाहे स्थान पर कर लिये हैं।लेकिन शिक्षकों न
इन आदिवासी बच्चों के भविष्य की ओर नहीं देखा आज इनका  भविष्य अंधकार में 
जबकि आदिवासी विभाग को अतिशेष मामलों का निराकरण करने के लिए परमानेंट ऑर्डर दे रखा है। होता यह है कि कलेक्टर एंव प्रभारी मंत्री का अनुमोदन कराना पड़ता है। जनप्रतिनिधियों का दखल रहता है। यही कारण है कि  छिदंवाडा मोहखेड़ बिछुआ विकासखंड में शिक्षक अतिशेष हो गए हैं। जिले में ऐसा हुआ है यंहा के जनप्रतिनिधियों के कारण जिन्होंने आपने पावर से सहा.आयुक्त से आपने लोगों का ट्रांसफर कराया है ।आज छिदंवाडा के सहायक आयुक्त एन.एस.बरकडे की भूमिका महाभारत के धृष्टराज की तरह हो गई है।? क्योंकि आदिवासी विभाग छिदंवाडा में ट्रांसफर उद्योग चल रहा है ।जिलें में कब अतिशेष का निराकरण होगा ये तो आने वाला समय ही बतायेगा । या ऐसी समस्या नहीं रहेगी। जागो आदिवासी के हितेषी


प्रधानसंपादक-ठा.रामकुमार राजपूत की 


रिपोर्ट


पंचायत दिशा समाचार 


दिनांक-10/01/2020